लिखूंगा खुशी को तो लोग दुःख की चर्चा करेंगे
लिखूंगा दुःख को तो लोग खुशी की चर्चा करेंगे
लिखूंगा दोनों को तो लोग मुझे भला आदमी समझेंगे।
लिखूंगा न्याय को तो लोग अन्याय करेंगे
लिखूंगा अन्याय को तो लोग न्याय को झूठा ठहरायेंगे
लिखूंगा दोनों को तो लोग मुझे बदनाम करेंगे।
लिखूंगा आज़ादी को तो सत्ता वाले आंदोलन करेंगे
लिखूंगा सत्ता वाले को तो आज़ादी वाले शोर करेंगे
लिखूंगा दोनों को तो लोग मुझे जेल बंद करेंगे।
लिखूंगा आने वाले कल को तो लोग बे चैन हो जायेंगे
लिखूंगा बीते कल को तो लोग रो पड़ेंगे
लिखूंगा कल और आज को तो लोग मेरी ग़लतियाँ ढूंढेगे।
लिखूंगा मोहब्बत को तो लोग प्रणय में डूब जायेंगे
लिखूंगा प्रणय को तो लोग अश्लीलता समझेंगे
लिखूंगा दोनों को तो लोग मुझे प्यार का प्याला पिलायेंगे।
लिखूंगा सभ्यता को तो चंद लोग बद्तमीज़ कहेंगे
लिखूंगा बद्तमीज़ को तो लोग मशहूर करेंगे
लिखूंगा दोनों को तो लोग इनाम देंगे।
लिखूंगा चाँद को तो तारे रूठ जायेंगे
लिखूंगा सूरज को तो पन्ने जल जायेंगे
लिखूंगा दोनों को तो लोग ब्रह्मांड की सैर करेंगे।
लिखूंगा आसमान को तो बादल रो पड़ेंगे
लिखूंगा तूफान को तो लोग विपत्ति यों को झेल नहीं पायेंगे
लिखूंगा दोनों को तो लोग मुश्किलों में पड़ेंगे।
लिखूंगा सुकून को तो जिंदगी के दाम सस्ते हो जायेंगे
लिखूंगा कठिनाइयाँ को तो लोग संशोधन करेंगे
लिखूंगा दोनों को तो लोग क्रांति की और बढ़ेंगे।
लिखूंगा सुखांतकी की बातों को तो लोग हँसेंगे
लिखूंगा दिलों को तो लोग इंसानियत की भाषा बोलेंगे
लिखूंगा दोनों को तो लोगो की उम्र बढ़ाने के काम आयेंगे।
लिखूंगा संयम को तो लोग अमन छोड़ देंगे
लिखूंगा अमन को तो लोग पत्थर मारेंगे
लिखूंगा अमन और संयम को तो लोग सुकर्मी हो जायेंगे।
लिखूंगा मेरे मतलब की बाते तो लोग मुझे मतलबी कहेंगे
लिखूंगा उनके मतलब की बाते तो लोगों मुझे खुदा का दर्ज़ा देंगे
लिखूंगा दोनों के मतलब को तो लोग राजा बनाके साम्राज्य सौप देंगे।
