गरीब
भूका है पेट ,
ना सर पर कोई छत ,
हम तो है बे घर ,
ना घर मे है चुला ,
बस पेट मे जल रही है आग ,
भीक देने वाले को और ना ना देने वालो को भी भगवान रखे सलामत ।
ना जा सकते है बडो की रस्मो मे बनकर मेहमान
गये भी तो खायेंगे उनका फेंका हुआ झुटा
क्योंकी भूखे है हम ।
आंख में है आंसू ,
ना पिणे के लिये पाणी भी साफ ,
दुनिया कहती है हमे लाचार ,
हम तो है गरीब ।
